टूटा शीशा है गिरती शबनम है
वो तो दीनो रात मेरी आँखों में है
क्या अब भी मै उसके रस्तों में हूँ
कोई अपना है या फिर सपना है
वो तो दीनो रात मेरी आँखों में है
क्या अब भी मै उसके रस्तों में हूँ
पैरों तले सूखे पत्तों की झंकार
और बादलों में बहता हुआ प्यार
टूटा शीशा है गिरती शबनम है
वो तो दीनो रात मेरी आँखों में है
क्या अभी में उसके रस्तों में हूँ