राहें तेरी मेरी सभी बेपता हो गईं
खोई सी मेरी ज़िंदगी हो मुकम्मल कभी
क़तरा क़तरा ज़रा ज़रा अश्कों में बहे
था जुनून दिल में ज़िंदा ज़िंदा रास्ते थम गए
जीना हो मुमकिन फिर से यहां
घर में मेरे ओ आहट तेरी गूंज थी
परदों पे भी सिलवटें तेरी आज भी
क़ैद इनमें कहीं सारे लम्हे तेरे मेरे
टूटता है यक़ीन के कभी तुम मिलो मुझे
जीना हो मुमकिन फिर से यहां