तेरा ही हर पल छाया है ऐसे
तूने ही तो मुझको ज़िन्दगी से बाक़िफ़ किया
हाँ तेरे ही लिए अब बहता है हर लम्हा
हम्म रौशनी दे जाएंगी तेरी रस्तो को वज़ह
हों ऑंखें भूल जायेंगी तेरे प्यार का सिलाह, हां
कैसे रहूंगी तुझसे जुदा भला
कैसे ढलेगा वो पल तेरे सिवा
किस्मत की लकीरों में तू बसा है इस तरह
हर कतरा मेरा चाहे तुझको ही बेपनाह
हो पाके ही तुझको ओढ़ लूँ बांहो में अब सदा
की तू ही मेरा जग सारा(की तू ही मेरा जग सारा)