जल्दी जल्दी ना खाया कर तू
गले में अटकेगा कहती थी वो
गिर जायेगा तू फिर रोयेगा तू
बहुत में भगा बहुत गिरा में
अब जा के समझा क्या कहती थी वो
जब भी मैं भगा तो डरती थी वो
जब भी गिरा मैं तो रोटी थी वो
पर सपने में पारियाँ लाती थी
वो डाँट बहुत याद आती थी मुझे
हे रब हे रब को जो देती थी वो धमकी बहुत याद आती हे
वो इबादत में झगड़े खुद करती थी रब से
और मुझको शुक्राने परवाती रहती थी