तुमहि छाडि कोई अवर न धयाऊं
चुन चुन श्त्रु हमारे मारियहि ४
स्री असिधुज जू करियहु ्रछा ५
श्त्रुन को पल मो बध कीयो १०
सभ पर क्रिपा द्रिशटि करि फूला ११
घट घट के पट पट की जानै १२
तुम मै मिलत देह धर सभहूं १३
निरंकार न्रिबिकार न्रिल्मभ
महां मूड़्ह कछु भेद न जानत
निरंकार का चीनत नहि भिव १६
किह बिधि सजा प्रथम संसारा १७
उतभुज खानि बहुरि रचि दीनी १८
कहूं सिमटि भयो शंकर इकैठा
सगरी स्रिशटि दिखाइ अच्मभव
आदि जुगादि सरूप सुय्मभव १९
तिन के दुशट दुखित ह्वै मरे
तिन के तुम संकट सभ टारे २१
क्रिपा द्रिशाटि तन जाहि निहरिहो
रि्धि सि्धि घर मों सभ होई
दुशट छाह छ्वै सकै न कोई २३